भारी लग्न चुनाव की नेता खक्खासाह ,
ठौर ठौर पर हो रहे नोट वोट के ब्याह ।
नोट बटे तो वोटर ने शिकवे सारे दिए बिसार,
मतदाता मतपाता से गले मिले साभार ।
ज्योतिषियों की धूम मची है पोथी पत्रा रहे विचार
नेता जीते या हारे पर पगार ना रही उधार ।
भ्रष्टाचारी, बाहुबली चुन कर बना रहे सरकार,
सजायाफ्ता अपराधी भी मंत्रिपद के दावेदार।
न्यायाधीश मूकदर्शक आचारसंहिता तार तार ,
अफसर चमचागीरी में रत सत्ता को सर्वाधिकार ।
सभी दलों पर अल्पसंख्यकों के वोटों का भूत सवार ,
लंबे चौडे वादे करते मनुहारों की है भरमार ।
संविधान की मूलभावना होती आयी शर्मसार ।
व्यक्ति की अभिव्यक्ति पर लगने लगे अंकुश अपार ।
करें विषवमन सत्ताधारी उनके क्षम्य चुनाव प्रचार ,
पर विपक्ष का वरुण विचारा रासुका का हुआ शिकार।
छोड़ साईकिल हाथ जोड़ नेता पहुंचे जय हो दरबार ,
नहीं हाथ पर टिकट मिला तो हाथी पर हो गए सवार।
नेताओं के चमचों की पोबारह का बना सुयोग ,
जेब भरी रहती नोटों से मुफ्त छक रहे मोहन भोग . कमल
3 comments:
छोड़ साईकिल हाथ जोड़ नेता पहुंचे जय हो दरबार ,
नहीं हाथ पर टिकट मिला तो हाथी पर हो गए सवार।
-मस्त दोहे!!
चुनाव पर बहुत सुंदर दोहे लिखे .. आपको धन्यवाद ।
badiya dohe
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