Sunday, April 12, 2009

चुनावी दोहे

भारी लग्न चुनाव की नेता खक्खासाह ,
ठौर ठौर पर हो रहे नोट वोट के ब्याह
नोट बटे तो वोटर ने शिकवे सारे दिए बिसार,
मतदाता मतपाता से गले मिले साभार
ज्योतिषियों की धूम मची है पोथी पत्रा रहे विचार
नेता जीते या हारे पर पगार ना रही उधार
भ्रष्टाचारी, बाहुबली चुन कर बना रहे सरकार,
सजायाफ्ता अपराधी भी मंत्रिपद के दावेदार

न्यायाधीश मूकदर्शक आचारसंहिता तार तार ,

अफसर चमचागीरी में रत सत्ता को सर्वाधिकार

सभी दलों पर अल्पसंख्यकों के वोटों का भूत सवार ,

लंबे चौडे वादे करते मनुहारों की है भरमार

संविधान की मूलभावना होती आयी शर्मसार

व्यक्ति की अभिव्यक्ति पर लगने लगे अंकुश अपार

करें विषवमन सत्ताधारी उनके क्षम्य चुनाव प्रचार ,

पर विपक्ष का वरुण विचारा रासुका का हुआ शिकार

छोड़ साईकिल हाथ जोड़ नेता पहुंचे जय हो दरबार ,

नहीं हाथ पर टिकट मिला तो हाथी पर हो गए सवार

नेताओं के चमचों की पोबारह का बना सुयोग ,

जेब भरी रहती नोटों से मुफ्त छक रहे मोहन भोग . कमल

3 comments:

Udan Tashtari said...

छोड़ साईकिल हाथ जोड़ नेता पहुंचे जय हो दरबार ,
नहीं हाथ पर टिकट मिला तो हाथी पर हो गए सवार।

-मस्त दोहे!!

संगीता पुरी said...

चुनाव पर बहुत सुंदर दोहे लिखे .. आपको धन्‍यवाद ।

Pramendra Pratap Singh said...

badiya dohe